भारत में अनाथ बच्चे को गोद लेने के नियम क्या हैं
उम्र से आय तक सीमाएं निर्धारित जानिए-भारत में अनाथ बच्चे को गोद लेने के नियम क्या हैं

भारत में एडॉप्शन की एक पूरी लीगल प्रक्रिया है, आपको उसी प्रक्रिया से होते हुए बच्चे को अपनाना होगा. इसके लिए आप राज्य सरकारों की अधिकृत एडाप्शन एजेंसियों के जरिये भी ये प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं. यहां हम आपको कुछ खास बिंंदुओं की जानकारी दे रहे हैं
बहुत से लोग जो तमाम चिकित्सकीय या अन्य वजहों से माता या पिता नहीं बन सके. उनमें से अधिकांश बच्चा गोद लेने की सोचते हैं. कई लोग अपने परिचित या रिश्तेदार से आपसी तालमेल के जरिये बच्चा गोद लेकर उसे अपना लेते हैं. ये सबके लिए संभव नहीं हो पाता. ऐसे लोगों को एडॉप्शन के बारे में बेसिक जानकारी जरूर होनी चाहिए
अगर आप किसी अनाथ को अपना बच्चा बनाने का मन बना रहे हैं तो जान लें कि सिर्फ मना बना लेने से ये आसान नहीं हो जाता. भारत में एडॉप्शन के नियम बहुत सोच-समझकर बनाए हैं. इसमें बच्चा गोद लेने को लेकर तमाम तरह की शर्तें रखी गई हैं. नियम के अनुसार, अगर आपको किसी परिचित, किसी नर्सिंग होम, अस्पताल या किसी एनजीओ से बच्चे की सूचना मिलती है तो उसके आधार पर मिले बच्चे को आप यूं ही गोद नहीं ले सकते.
इसकी एक पूरी लीगल प्रक्रिया है, आपको उसी प्रक्रिया से होते हुए बच्चे को अपनाना होगा. इसके लिए आप राज्य सरकारों की अधिकृत एडाप्शन एजेंसियों के जरिये भी ये प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं. भारत में CARA (Central Adoption Resource Authority) के जरिये एडॉप्शन की पूरी गाइडलाइन दी गई है. अगर आप बच्चे को गोद लेने का मन बना रहे हैं तो सबसे पहले वेबसाइट www.cara.nic.in पर जाकर पूरी गाइडलाइन पढ़ें. यहां एडॉप्शन की जो प्रक्रिया है, उसे फॉलो करना होगा. कारा में आपको तय रजिस्ट्रेशन फीस के अलावा किसी भी तरह का भुगतान नहीं करना होगा. आगे CARA की गाइडलाइन के अहम हिस्से, पढ़ें
कौन लोग बच्चे को गोद ले सकते हैं?
अगर आप बच्चे को गोद लेने का मन बना चुके हैं तो जान लें भावी दत्तक माता-पिता का शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से स्थिर और आर्थिक रूप से सक्षम होना जरूरी है. ताकि किसी भी नई जिंदगी के लिए भविष्य में चिकित्सीय स्थिति के लिए खतरा न हो. कोई भी भावी दत्तक माता-पिता, चाहे उसकी वैवाहिक स्थिति कुछ भी हो और उसका बायोलॉजिकल बेटा या बेटी है या नहीं, सभी को इन शर्तों के अधीन बच्चे को गोद लेने का नियम है.
- -विवाहित जोड़े के मामले में, गोद लेने के लिए दोनों पति-पत्नी की सहमति की आवश्यकता होगी.
- -एक सिंगल महिला किसी भी जेंडर के बच्चे को गोद ले सकती है.
- -एक सिंगल पुरुष बेटी को गोद लेने के योग्य नहीं होगा
दो साल का स्थिर वैवाहिक संबंध जरूरी
दंपत्ति को तब तक कोई बच्चा गोद नहीं दिया जाएगा जब तक कि उनका कम से कम दो साल का स्थिर वैवाहिक संबंध न हो.
संभावित गोद लेने वाले माता-पिता की आयु, पंजीकरण की तारीख के अनुसार, पात्रता तय करने के लिए गिना जाएगा और विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों के लिए आवेदन करने के लिए भावी दत्तक माता-पिता की योग्यता अलग अलग होगी
कितनी उम्र जरूरी?
कारा के नियमों के अनुसार, बच्चे और भावी दत्तक माता-पिता में से किसी के बीच न्यूनतम आयु का अंतर पच्चीस वर्ष से कम नहीं होना चाहिए. वहीं अगर सौतेले माता या पिता या रिश्तेदार दत्तक बच्चा गोद लेते हैं तो इस मामले में भावी दत्तक माता-पिता के लिए आयु मानदंड लागू नहीं होंगे. इसके अलावा कारा में विशिष्ट नियम ये भी है कि जिन पेरेंट्स के पहले ही तीन या चार बच्चे हैं, वो किसी भी हाल में बच्चे को गोद नहीं ले सकते.