हरम में महिलाओं के कई समूह होते थे. इसमें शाही परिवार की महिलाएं, बादशाह की रखैल, उनका ध्यान रखने वाली महिलाएं और हरम की देखभाल करने वाली महिलाएं शामिल होती थीं.
मुगलों के दौर में हरम हमेशा से चर्चा में रहा. हिन्दुस्तानी हो या विदेशी, हर किसी में इसको जानने और समझने में दिलचस्पी रही. भारत पहुंचे कई विदेशी यात्रियों ने अपने संस्मरण में हरम के कई राज खोले
हरम में महिलाओं के कई समूह होते थे. इसमें शाही परिवार की महिलाएं, बादशाह की रखैल, उनका ध्यान रखने वाली महिलाएं और हरम की देखभाल करने वाली महिलाएं शामिल होती थीं. हरम की रौनक बढ़ाने के लिए महिलाओं को कई तरह से वहां तक पहुंचाया जाता था.
किसी महिला पर मुगल बादशाह का दिल आया तो उसे हरम का हिस्सा बना दिया जाता था. कुछ महिलाओं को दूसरे देशों से बंदी बनाकर लाया जाता था तो कुछ को बाजार से खरीद लिया जाता था.
हिन्दू महिलाओं के लिए हर दिन नए कपड़े आते थे. एक बार जो वो कपड़े पहन लेती थीं, उसे दोबारा नहीं पहनती थीं. उसे हरम की दासियों में बांट दिया जाता था.
शाही परिवार की औरतों का जीवन राजसी होता था, वो दिन में फौव्वारों और रात में आतिशबाजी का आनंद उठाती थीं. किस्से-कहानियों में व्यस्त रहती थीं. तीरंदाजी करना और गजलों को सुनना उनका खास शौक हुआ करता था.
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