डर से निपटने के लिए आइए जाने ओशो के तरीके

हर किसी को डर लगता है. अपने भविष्य का डर, नौकरी का डर, परिवार की चिंता या मौत का डर, ओशो के अनुसार डर मानव मन की उपज है। आइए जानते हैं ओशो ने इससे निपटने के लिए क्या टिप्स दिए हैं।

ओशो

क्या है डर

ओशो के अनुसार, डर इंसान के मन की उपज है। यह एक मानसिक स्थिति है जिससे ज्ञान और ध्यान की मदद से छुटकारा पाया जा सकता है

क्या है डर

कैसे मिलेगी मुक्ति

सेल्फ अवेयरनेस और ध्यान से डर को खत्म किया जा सकता है।

कैसे मिलेगी मुक्ति

मन की कैद

ओशो के अनुसार मन की कैद में डर पनपता है। मन की कैद से बाहर निकलें।

मन की कैद

ऐसे आएगा साहस

डर को खत्म करने के लिए ओशो बताते हैं कि अपनी आत्मा के प्रति जागरूक बनें

ऐसे आएगा साहस

आज में जिएं

उनके अनुसार भविष्य की चिंता छोड़, वर्तमान में जीने से डर खत्म हो जाता है

आज में जिएं

भविष्य से न डरें

भविष्य में क्या होने वाला है, यह किसी को नहीं पता। इससे डरे न, इसे स्वीकार करें

भविष्य से न डरें

बदलाव ही जीवन है

परिवर्तन ही सच्चाई है। ओशो बदलाव को स्वीकार करने की सलाह देते हैं

बदलाव

मृत्यु का डर

मृत्यु जीवन का हिस्सा है। इससे डरने की जरूरत नहीं है। इसे स्वीकारें

मृत्यु का डर