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राज्य के इन शहरों की बल्ले बल्ले कराएगा यह एक्सप्रेसवे!  56 गांवों की भूमि का होगा अधिग्रहण

आमस दरभंगा एक्सप्रेसवे बिहार की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है, जो राज्य के ट्रांसपोर्ट सिस्टम में मोटा बदलाव लाने वाला है। 189 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे बिहार के उत्तर और दक्षिण हिस्सों के बीच संपर्क को मजबूत करेगा, और राज्य के आर्थिक विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
 
राज्य के इन शहरों की बल्ले बल्ले कराएगा यह एक्सप्रेसवे!  56 गांवों की भूमि का होगा अधिग्रहण

Amas Darbhanga Expressway: आमस दरभंगा एक्सप्रेसवे बिहार की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है, जो राज्य के ट्रांसपोर्ट सिस्टम में मोटा बदलाव लाने वाला है। 189 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे बिहार के उत्तर और दक्षिण हिस्सों के बीच संपर्क को मजबूत करेगा, और राज्य के आर्थिक विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

आमस दरभंगा एक्सप्रेसवे  

आमस दरभंगा एक्सप्रेसवे, भारतमाला परियोजना के तहत स्वीकृत है और इसका निर्माण भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा किया जा रहा है। यह परियोजना बिहार में ट्रांसपोर्टेशन की दिशा को बदलने की क्षमता रखती है। इस एक्सप्रेसवे का डिज़ाइन ग्रीनफील्ड और एक्सेस कंट्रोल्ड है, जो इसे एक अत्याधुनिक मार्ग बनाता है।

इन शहरों से होकर गुजरेगा 

आमस दरभंगा एक्सप्रेसवे गया, पटना, औरंगाबाद, दरभंगा जैसे प्रमुख शहरों को जोड़ते हुए, बिहार के विभिन्न क्षेत्रों को आपस में जोड़ने का काम करेगा। इस एक्सप्रेसवे के बनने से यात्रा समय में भारी कमी आएगी, जिससे उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच संपर्क मजबूत होगा।

बढ़ेंगे रोजगार के अवसर 

आमस दरभंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण से बिहार में व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और नए रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। नौकरी के अवसरों के साथ-साथ स्थानीय किसानों और व्यवसायों को भी इसका फायदा मिलेगा। इस एक्सप्रेसवे के निर्माण के साथ, माल परिवहन और लॉजिस्टिक सेवाएं अधिक सुगम होंगी, जो राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगी।

इन गांवों की भूमि का होगा अधिग्रहण 

इस एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए लगभग 56 गांवों में 1300 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया है। हालांकि, यह परियोजना कई पर्यावरणीय और भूमि अधिग्रहण से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रही है, लेकिन सरकार इस पर गंभीर रूप से काम कर रही है। इस परियोजना के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की साझेदारी से वित्तपोषण किया जा रहा है, और योजना के अनुसार इसे 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।