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मंडी भाव की खबरें! आज इन फसलों के मंडी भाव में आया उछाल, देखें आज का मंडी भाव

बैतूल मंडी में 26 नवंबर 2024 को कृषि उपज की आवक में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। मंडी में विभिन्न फसलों की आवक के बावजूद किसानों को अपेक्षित दाम नहीं मिल रहे हैं, जिससे उनकी चिंता बढ़ गई है। आइए, जानते हैं बैतूल मंडी में हुई ताजा आवक और उस पर असर डालने वाले प्रमुख कारकों के बारे में।
 
मंडी भाव की खबरें! आज इन फसलों के मंडी भाव में आया उछाल, देखें आज का मंडी भाव

Mandi Bhav: बैतूल मंडी में 26 नवंबर 2024 को कृषि उपज की आवक में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। मंडी में विभिन्न फसलों की आवक के बावजूद किसानों को अपेक्षित दाम नहीं मिल रहे हैं, जिससे उनकी चिंता बढ़ गई है। आइए, जानते हैं बैतूल मंडी में हुई ताजा आवक और उस पर असर डालने वाले प्रमुख कारकों के बारे में।

बैतूल मंडी में 26 नवंबर 2024 को हुई आवक

बैतूल मंडी में 26 नवंबर को कुल 26,472 बोरे उपज की आवक रही। इसमें प्रमुख आवक गेहूं, सोयाबीन, और मक्का की रही जिसमें गेहूं के 2,013 बोरे, सोयाबीन के 1,381 बोरे व मक्का के 23,078 बोरे की आवक हुई। 

कृषि उपज मंडी में इस दिन उपज की आवक में बढ़ोतरी देखी गई, जिसमें मक्का की सबसे ज्यादा आवक रही। हालांकि, उपज की आवक में बढ़ोतरी से दामों में कोई उछाल नहीं आया, जिससे किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा रही हैं।

किसानों की नाराजगी

मंडी में उपज की आवक बढ़ने के बावजूद किसानों को अच्छे दाम नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे उनकी नाराजगी बढ़ गई है। विशेष रूप से सोयाबीन के दामों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है, जो किसानों के लिए चिंता का विषय है। सोयाबीन के दाम इतने कम हो गए हैं कि किसानों को लागत भी नहीं मिल पा रही है।

मूंग और उड़द की आवक 

26 नवंबर को मूंग की कोई आवक नहीं आई। पिछले दिनों मूंग के दाम 4051 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचे थे।  उड़द की भी कोई आवक नहीं आई। हालाँकि, पिछले दिनों उड़द के दाम 7200 रुपये प्रति क्विंटल के पार थे।

कृषि उपज के दामों में उतार-चढ़ाव

बैतूल मंडी में उपज के दामों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है, जो कि मंडी की स्थिति और मौसम के बदलावों से प्रभावित हो रहा है। कभी आवक बढ़ जाती है तो कभी घट जाती है, जिससे दामों में उतार-चढ़ाव भी नजर आता है। खासकर, गेहूं और मक्का की आवक में बदलाव और उनके दामों में उतार-चढ़ाव कृषि व्यापारियों और किसानों दोनों के चिंता का विषय है।