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हरियाणा के किसानों ने पराली का निकाला समाधान, अब पराली जलाने की जगह कर रहे हैं पराली से कमाई  

हरियाणा के कई किसान अब पराली को जलाने के बजाय इससे उपयोगी चीजें बनाकर कमाई कर रहे हैं। करनाल जिले के किसान स्ट्रॉ बेलर, हैप्पी सीडर और पैडी स्ट्रॉ चॉपर जैसी मशीनों का उपयोग करके पराली को जैव ईंधन और पशु आहार में बदल रहे हैं। इससे न केवल उन्हें मुनाफा हो रहा है, बल्कि पर्यावरण को भी बचाया जा रहा है।
 
Haryana Kisan News

Haryana Kisan News: हरियाणा के कई किसान अब पराली को जलाने के बजाय इससे उपयोगी चीजें बनाकर कमाई कर रहे हैं। करनाल जिले के किसान स्ट्रॉ बेलर, हैप्पी सीडर और पैडी स्ट्रॉ चॉपर जैसी मशीनों का उपयोग करके पराली को जैव ईंधन और पशु आहार में बदल रहे हैं। इससे न केवल उन्हें मुनाफा हो रहा है, बल्कि पर्यावरण को भी बचाया जा रहा है।

किसान कैसे कर रहे हैं कमाई?

उपलाना गांव के किसान सुनील राणा ने बताया कि वह 20 किसानों से पराली इकट्ठा करके शराब कंपनी को 170 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचते हैं। इसके साथ ही किसानों को पराली न जलाने पर सरकार की ओर से 1,000 रुपये प्रति एकड़ का इंसेंटिव भी मिलता है। इसी तरह, जतिंदर कुमार ने बताया कि वह फैक्ट्रियों को पराली के बंडल 180-190 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचते हैं।

पराली से जैव ईंधन और चारा बनाने के फायदे

किसान पराली को सिर्फ जलाने के बजाय इससे बायोफ्यूल बना रहे हैं। इसके अलावा, पराली का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में भी किया जा रहा है। स्ट्रॉ बेलर मशीन पराली को गांठों में बदल देती है, जिससे उसका ढोना और किसी निश्चित स्थान पर पहुंचाना आसान हो जाता है।

हरियाणा सरकार का समर्थन

हरियाणा सरकार भी किसानों को पराली प्रबंधन में सहयोग दे रही है। कृषि उपनिदेशक डॉ. वजीर सिंह के अनुसार, 1,640 से अधिक किसानों को पराली प्रबंधन के लिए मशीनों पर सब्सिडी दी जा चुकी है। इससे पराली न जलाने वाले किसानों को आर्थिक और तकनीकी सहायता मिल रही है।