सरकारी कर्मचारियों 30 सितम्बर तक निपटा ले ये जरुरी काम, वरना नहीं मिलेगी तनख्वा, आदेश जारी
कर्मचारियों को अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण देना अनिवार्य है। केवल उन कर्मचारियों को ही सितंबर का वेतन मिलेगा जिन्होंने संपत्ति का ब्योरा दिया है। संपत्ति की घोषणा की अंतिम तारीख 30 सितंबर 2024 है।
Updated: Sep 25, 2024, 12:26 IST
India Super News, UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए संपत्ति का विवरण देना अनिवार्य कर दिया है। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने आदेश दिया है कि जिन राज्य कर्मचारियों ने 'मानव संपदा पोर्टल' पर अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया, उन्हें सितंबर महीने का वेतन नहीं मिलेगा।
कर्मचारियों को अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण देना अनिवार्य है। केवल उन कर्मचारियों को ही सितंबर का वेतन मिलेगा जिन्होंने संपत्ति का ब्योरा दिया है। संपत्ति की घोषणा की अंतिम तारीख 30 सितंबर 2024 है।
मुख्य सचिव ने सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और विभागाध्यक्षों को इस आदेश के संबंध में सख्त निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव के अनुसार, DDO (Drawing And Disbursing Officer) की समीक्षा में यदि किसी कर्मचारी ने संपत्ति का विवरण नहीं दिया है, तो उनका वेतन रोका जाएगा।
12 सितंबर तक, 8,44,374 कर्मचारियों में से 7,19,807 ने संपत्ति का ब्योरा उपलब्ध करा दिया था। इसका मतलब है कि लगभग 90 प्रतिशत कर्मचारियों ने समय सीमा के भीतर अपने विवरण प्रस्तुत किए हैं।
पहले संपत्ति का ब्योरा देने की डेडलाइन 31 अगस्त थी, लेकिन कर्मचारियों की मांग पर इसे बढ़ाकर 30 सितंबर किया गया। DDO को संबंधित कर्मचारियों का विवरण अपलोड न होने पर जवाबदेह ठहराया गया है।
यूपी सरकार की इस पहल का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों की संपत्ति की पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। संपत्ति का ब्योरा न देने वाले कर्मचारियों के वेतन को रोकना एक सख्त कदम है, जो सरकारी प्रणाली में सुधार लाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
कर्मचारियों को अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण देना अनिवार्य है। केवल उन कर्मचारियों को ही सितंबर का वेतन मिलेगा जिन्होंने संपत्ति का ब्योरा दिया है। संपत्ति की घोषणा की अंतिम तारीख 30 सितंबर 2024 है।
मुख्य सचिव ने सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और विभागाध्यक्षों को इस आदेश के संबंध में सख्त निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव के अनुसार, DDO (Drawing And Disbursing Officer) की समीक्षा में यदि किसी कर्मचारी ने संपत्ति का विवरण नहीं दिया है, तो उनका वेतन रोका जाएगा।
12 सितंबर तक, 8,44,374 कर्मचारियों में से 7,19,807 ने संपत्ति का ब्योरा उपलब्ध करा दिया था। इसका मतलब है कि लगभग 90 प्रतिशत कर्मचारियों ने समय सीमा के भीतर अपने विवरण प्रस्तुत किए हैं।
पहले संपत्ति का ब्योरा देने की डेडलाइन 31 अगस्त थी, लेकिन कर्मचारियों की मांग पर इसे बढ़ाकर 30 सितंबर किया गया। DDO को संबंधित कर्मचारियों का विवरण अपलोड न होने पर जवाबदेह ठहराया गया है।
यूपी सरकार की इस पहल का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों की संपत्ति की पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। संपत्ति का ब्योरा न देने वाले कर्मचारियों के वेतन को रोकना एक सख्त कदम है, जो सरकारी प्रणाली में सुधार लाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।