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नववर्ष से पहले इस राज्य में फर्राटा भरेगी पानी से दौड़ने वाली पहली भारतीय हाइड्रोजन ट्रेन! जानें इसका रूट और स्पीड की जानकारी 

भारतीय रेलवे जल्द ही देश में पहली हाइड्रोजन ट्रेन चलाने जा रहा है, जो न तो डीजल से चलेगी और न ही बिजली से। यह ट्रेन हाइड्रोजन ईंधन का इस्तेमाल करेगी और केवल भाप व पानी का उत्सर्जन करेगी। भारतीय रेलवे ने 2030 तक "नेट जीरो कार्बन एमिटर" बनने का लक्ष्य रखा है और हाइड्रोजन ट्रेनें इस दिशा में एक अहम कदम हैं। आइए जानें इस नई ट्रेन के बारे में विस्तार से।
 
Hydrogen Trains

Hydrogen Trains: भारतीय रेलवे जल्द ही देश में पहली हाइड्रोजन ट्रेन चलाने जा रहा है, जो न तो डीजल से चलेगी और न ही बिजली से। यह ट्रेन हाइड्रोजन ईंधन का इस्तेमाल करेगी और केवल भाप व पानी का उत्सर्जन करेगी। भारतीय रेलवे ने 2030 तक "नेट जीरो कार्बन एमिटर" बनने का लक्ष्य रखा है और हाइड्रोजन ट्रेनें इस दिशा में एक अहम कदम हैं। आइए जानें इस नई ट्रेन के बारे में विस्तार से।

हाइड्रोजन ट्रेनें हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स से ऊर्जा प्राप्त करती हैं। इन फ्यूल सेल्स में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के मिश्रण से बिजली उत्पन्न होती है, जो ट्रेन को चलाती है। इस प्रक्रिया में ट्रेन किसी भी प्रकार का धुआं नहीं छोड़ती, बल्कि केवल पानी और भाप का उत्सर्जन करती है। रेलवे के पीआरओ दिलीप कुमार की माने तो एक हाइड्रोजन ट्रेन की लागत 80 करोड़ के आसपास है.   

रेलवे ने 35 हाइड्रोजन ट्रेनें चलाने की योजना बनाई है, जिनमें से पहली ट्रेन हरियाणा के जींद-सोनीपत रूट पर दिसंबर 2024 में चलाई जाएगी। यह 90 किलोमीटर का रूट होगा। इसके अलावा इस ट्रेन से दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरि माउंटेन रेलवे, कालका शिमला रेलवे, माथेरान रेलवे, कांगड़ा वैली, बिलमोरा वाघई और मारवाड़-देवगढ़ मदारिया रूट पर भी यात्रा की जा सकती है। माना जा रहा है कि ट्रेन की स्पीड 140 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। यह ट्रेन एक बार में 1000 किमी तक का सफर तय कर सकती है.

हाइड्रोजन ट्रेनें कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य हानिकारक गैसें नहीं छोड़ती हैं। पारंपरिक डीजल इंजनों की तुलना में 60% कम शोर। हाइड्रोजन ट्रेनें बिजली उत्पादन में डीजल इंजन से अधिक कुशल होती हैं। आने वाले समय में हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले अन्य वाहनों की तरह ट्रेनें भी आम होंगी, जो देश को स्वच्छ और हरित परिवहन की दिशा में ले जाएंगी।