किसान भाई पलवार विधि से करें तरबूज की खेती, लागत आएगी कम और पैदावार होगी डबल

Watermelon Cultivation: सर्दियों के बाद गर्मियों का मौसम शुरू होते ही किसान तरबूज और खरबूजे की खेती की तैयारी शुरू कर देते हैं। तरबूज की खेती में लाभकारी उपज के लिए पलवार विधि का प्रयोग काफी फायदेमंद है। इस विधि से खेती में लागत कम होती है और उपज अधिक होती है। पलवार विधि में अलग-अलग रंग की प्लास्टिक शीट या खेतों से निकले घास-पात का प्रयोग किया जाता है। आइए जानते हैं कि इस तकनीक से किसान कैसे लाभ कमा सकते हैं।
पलवार को अंग्रेजी में मल्च कहा जाता है। यह विधि खेतों में प्लास्टिक शीट या घास-पात बिछाकर की जाती है, जिससे नमी बनी रहती है और खरपतवार नहीं उगते। किसानों को तरबूज लगाने के लिए विभिन्न रंगों की प्लास्टिक पलवार का प्रयोग करना चाहिए जैसे काली, सफेद, नीली और पारदर्शी शीट।
पलवार विधि से अनावश्यक पानी का बचाव होता है और पानी की उपयोग दक्षता में वृद्धि होती है। इस विधि से खरपतवार का उगना कम होता है और खेत साफ रहता है। अलग-अलग रंगों की प्लास्टिक शीट से हरा तेला, चेंपा, सफेद मक्खी, और बीटल का प्रकोप कम होता है। फसल की गुणवत्ता और पकने की अवधि में सुधार होता है, जिससे उपज बढ़ती है।
तरबूज की खेती में पहले खेत को अच्छे से तैयार किया जाता है और उसके बाद रिज मेकर की मदद से 1.5 मीटर की दूरी पर बेड बनाए जाते हैं। इसके बाद ड्रिप लेन लगाकर बीज बोए जाते हैं और अंत में पलवार बिछा दी जाती है।