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दिल्ली-करनाल रैपिड रेल प्रोजेक्ट, जल्द शुरू होगा निर्माण कार्य, जाने ताजा अपडेट

 
दिल्ली-करनाल रैपिड रेल प्रोजेक्ट, जल्द शुरू होगा निर्माण कार्य, जाने ताजा अपडेट

दिल्ली को जीटी रोड के साथ-साथ सोनीपत, पानीपत और करनाल से रेलवे मार्ग से जोड़ने वाले रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) प्रोजेक्ट पर जल्द काम शुरू होने की उम्मीद है। दिल्ली में भाजपा की जीत के बाद इस परियोजना को धरातल पर उतारने की राह और आसान हो गई है। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में RRTS के विस्तार का वादा किया था, जिससे संभावना है कि सरकार के गठन के बाद जल्द ही इस प्रोजेक्ट पर काम तेज़ी से शुरू हो जाएगा।

दिल्ली-करनाल RRTS: वर्षों से अधूरा सपना अब होगा पूरा
नेशनल हाईवे-44 (जीटी रोड) के समानांतर हाई-स्पीड रेल कनेक्टिविटी का यह प्रोजेक्ट वर्षों से मंजूरी का इंतजार कर रहा था। डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) पहले ही स्वीकृत हो चुकी है और अब सिर्फ अंतिम मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है। सरकार ने इस परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे दिल्ली और हरियाणा के बीच कनेक्टिविटी को और मज़बूत किया जा सके।

भाजपा के घोषणापत्र में RRTS को दी गई प्राथमिकता
भाजपा ने अपने चुनावी वादों में पहले फेज़ में दिल्ली-गुरुग्राम-अलवर और दिल्ली-पानीपत-करनाल RRTS कॉरिडोर को प्राथमिकता के साथ पूरा करने का संकल्प लिया था। इसके अलावा, वाणिज्य मंत्रालय ने दिल्ली-पानीपत-करनाल कॉरिडोर को पीएम गति शक्ति योजना के तहत चार प्रमुख परियोजनाओं में से एक के रूप में चिह्नित किया है।

136 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर, 21 स्टेशन और तेज़ सफर
यह 136 किलोमीटर लंबा RRTS कॉरिडोर होगा, जिसमें 21 स्टेशन होंगे।
यह दिल्ली के सराय काले खां से शुरू होकर करनाल के नए ISBT तक जाएगा।
फिलहाल, दिल्ली से करनाल की यात्रा में लगभग 180 मिनट (3 घंटे) लगते हैं, लेकिन RRTS के शुरू होने के बाद यह समय घटकर 90 मिनट रह जाएगा।
यह लाइन दिल्ली को एनसीआर और हरियाणा के प्रमुख शहरों से जोड़ेगी, जिसे 2032 के फंक्शनल ट्रांसपोर्ट प्लान में भी महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के रूप में शामिल किया गया है।
भविष्य की दिशा और संभावनाएं
सरकार से अंतिम मंजूरी मिलने के बाद, इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में लगभग 6 साल का समय लग सकता है। भूमि अधिग्रहण का अगला चरण जल्द शुरू होने की संभावना है। चूंकि अधिकांश रूट सरकारी जमीन पर स्थित है, इसलिए देरी की आशंका कम होगी।

इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद, दिल्ली और हरियाणा के बीच यात्रा तेज़, सुरक्षित और सुगम हो जाएगी। साथ ही, यह NCR में आर्थिक और औद्योगिक विकास को भी बढ़ावा देगा।