आलू की खेती करने वाले किसान भी रखें इन बातों का ख्याल, फिर होगी बम्पर पैदावार

Kheti News: आलू की खेती करने वाले किसानों को अपनी फसल के अच्छे उत्पादन के लिए विभिन्न कीटों और रोगों से बचाव करना आवश्यक होता है। यदि समय रहते इन समस्याओं पर ध्यान न दिया जाए, तो आलू की फसल को भारी नुकसान हो सकता है। आलू की फसल में कीटों और रोगों का प्रबंधन करके किसान अपनी उपज में सुधार कर सकते हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि किस प्रकार से कीटों और रोगों का सही तरीके से प्रबंधन किया जा सकता है, जिससे आलू की खेती में बेहतर उत्पादन प्राप्त हो सके।
सफेद भृंग (White Grub)
सफेद भृंग आलू की फसल के लिए एक प्रमुख कीट है। यह कीट आलू की जड़ों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे फसल की वृद्धि रुक जाती है और जड़ें सड़ने लगती हैं। इससे आलू की फसल सूख सकती है। इससे बचाव हेतु शाम के समय 7 बजे से 9 बजे तक लाइट ट्रैप का इस्तेमाल किया जा सकता है। बुवाई के समय कार्बोफ्यूरॉन 3 जी का उपयोग भी प्रभावी है।
आलू की जड़ कीट (Root Weevil)
यह कीट आलू की जड़ों में घुसकर उन्हें नुकसान पहुंचाता है। मादा कीट आलू की मिट्टी में अंडे देती है, और छोटे कीट जड़ों में पहुंचकर उन्हें नष्ट कर देते हैं। इसके कारण आलू की फसल की गुणवत्ता कम हो जाती है। इससे बचने के लिए आलू के खेतों में बुवाई से पहले अच्छे गुणवत्ता वाले बीज का उपयोग करें। खेत की सफाई रखें ताकि कीटों के प्रकोप को कम किया जा सके।
आलू की पत्तियों का पीला पड़ना (Early Blight)
यह रोग आलू की पत्तियों पर गोल रिंगनुमा धब्बे बना देता है, जिससे पत्तियां झुलस जाती हैं। इससे आलू की फसल की वृद्धि प्रभावित होती है और उत्पादन में कमी आ सकती है। प्रबंधन उपाय की बात करें तो मैंकोजेब या कार्बेन्डाजिम जैसे फफूंदनाशकों का छिड़काव करें। आलू के खेतों की नियमित सफाई करें ताकि रोग फैलने से रोका जा सके।
पत्तियों का सूखना (Leaf Blight)
इस रोग के कारण आलू की पत्तियां सूखने लगती हैं। यह आलू की फसल के लिए हानिकारक हो सकता है। इस रोग से बचने के लिए मैंकोजेब का छिड़काव किया जा सकता है। प्रबंधन उपाय की बात करें तो मैंकोजेब को पानी में मिलाकर आलू के पौधों पर छिड़काव करें। पत्तियों की नियमित निगरानी करें और सूखी पत्तियों को निकाल दें।
आलू का रिंग स्पॉट रोग (Ring Spot Disease)
यह रोग आलू की पत्तियों पर गोल धब्बे बना देता है। इससे पत्तियां झुलसने लगती हैं और फसल की गुणवत्ता कम हो जाती है। इसके शिकार से बचने के लिए स्वस्थ बीजों का चयन करें और खेतों की सफाई पर ध्यान दें। मैंकोजेब या कार्बेन्डाजिम जैसे फफूंदनाशकों का उपयोग करें।