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यूपी में संविदाकर्मियों की हो गई बल्ले बल्ले! बढ़ गया मानदेय, अब हर महीने मिलेंगे 10,712 रुपये

उत्तर प्रदेश सरकार ने नगरीय निकायों में आउटसोर्स पर काम कर रहे सफाई कर्मियों के लिए नया मानदेय तय कर दिया है। विशेष सचिव नगर विकास, अमित कुमार सिंह ने इस बाबत सभी नगर आयुक्तों और अधिशासी अधिकारियों को निर्देश भेजे हैं। अब इन सफाई कर्मियों को रोजाना 412 रुपये और हर महीने 10,712 रुपये दिए जाएंगे। इस कदम के बाद राज्यभर में काम करने वाले सफाई कर्मियों को एक उचित और निर्धारित वेतन मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
 

UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने नगरीय निकायों में आउटसोर्स पर काम कर रहे सफाई कर्मियों के लिए नया मानदेय तय कर दिया है। विशेष सचिव नगर विकास, अमित कुमार सिंह ने इस बाबत सभी नगर आयुक्तों और अधिशासी अधिकारियों को निर्देश भेजे हैं। अब इन सफाई कर्मियों को रोजाना 412 रुपये और हर महीने 10,712 रुपये दिए जाएंगे। इस कदम के बाद राज्यभर में काम करने वाले सफाई कर्मियों को एक उचित और निर्धारित वेतन मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

यह निर्णय तब लिया गया है जब सफाई कर्मियों के वेतन में असमानता और ठेकेदारों द्वारा उनके साथ हो रही धोखाधड़ी को लेकर लगातार शिकायतें आ रही थीं। इससे पहले, लखनऊ नगर निगम के सफाई कर्मियों को कम वेतन मिल रहा था और ठेकेदारों द्वारा उनकी मेहनत का उचित भुगतान नहीं किया जा रहा था।

उत्तर प्रदेश में कुल 762 नगरीय निकाय हैं, जहां अधिकांश सफाई कर्मी आउटसोर्स के माध्यम से काम कर रहे हैं। इनमें से कई कर्मियों को उचित वेतन न मिलने के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। खासकर लखनऊ नगर निगम में 12000 संविदा कर्मचारी हैं, जिनमें से 9000 सफाई कर्मी कार्यदाई संस्थाओं से तैनात हैं। पहले इन कर्मियों को 388 रुपये रोजाना मिलते थे, लेकिन अब उन्हें 412 रुपये प्रति दिन और हर महीने 10,712 रुपये की राशि मिलेगी।

नगर विकास विभाग ने श्रम विभाग के माध्यम से यह निर्देश भेजे हैं कि सफाई कर्मियों को न्यूनतम मजदूरी दी जाए। उनके लिए एक दिन का वेतन 412 रुपये तय किया गया है और 26 दिन के काम के आधार पर महीने में 10,712 रुपये का भुगतान किया जाएगा। यह वेतन उनके छुट्टी के दिनों के हिसाब से कम किया गया है, जिससे उनकी कुल आमदनी में वृद्धि होगी।

साथ ही, नगर निगम अधिकारियों को यह निर्देश भी दिए गए हैं कि अगर किसी जगह पर वेतन भुगतान में कोई लापरवाही या कमी दिखाई देती है, तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस कदम से कर्मचारियों के हक में सुधार होगा और उनकी स्थिति में भी सकारात्मक बदलाव आएगा।

लखनऊ नगर निगम में पहले सफाई कर्मियों को ठेकेदारों से केवल 7000-8000 रुपये ही मिलते थे, जबकि असली वेतन 10,712 रुपये था। इस समस्या का मुख्य कारण कमीशन खोरी और ठेकेदारों द्वारा वेतन की एक बड़ी राशि दबा ली जाती थी। अब, सरकार ने इस पर नियंत्रण रखते हुए सफाई कर्मियों को उनका पूरा वेतन देने का आदेश दिया है।