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सरपंच एसोसिएशन ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दी चेतावनी : विधानसभा में आवाज नहीं उठाने वाले विधायकों को चुनाव में जनता के बीच नहीं घुसने दिया जाएगा\

 
सरपंच एसोसिएशन ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दी चेतावनी : विधानसभा में आवाज नहीं उठाने वाले विधायकों को चुनाव में जनता के बीच नहीं घुसने दिया जाएगा

ई-टेंडरिंग को लेकर लगातार विरोध कर रही हरियाणा सरपंच एसोसिएशन ने बड़ा एलान किया है। 20 फरवरी से हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो रहा है। इसलिए एसोसिएशन ने कहा है कि यदि सभी पक्ष-विपक्ष के विधायक सदन में उनकी आवाज नहीं उठाते हैं तो विधायकों को आगामी विधानसभा चुनाव के वक्त गांवों में नहीं घुसने दिया जाएगा

इसके अलावा 20 फरवरी को पूरे प्रदेश में जिला स्तर पर प्रदर्शन किया जाएगा। एसोसिएशन ने कहा कि 20 को राज्यपाल के अभिभाषण के बाद 21 फरवरी के सदन में उनकी बात विधायक नहीं रखते हैं तो इसी दिन बड़ा ऐलान किया जाएगा

साथ ही एक मार्च को मुख्यमंत्री का आवास घेरा जाएगा। यदि उनकी बात नहीं मानी गई तो चुनाव का भी बहिष्कार किया जाएगा। चंडीगढ़ में मीडिया से बातचीत करते हुए एसोसिएशन के राज्य अध्यक्ष रणबीर समैण ने कहा कि इसके अलावा उनकी मांग परिवार पहचान पत्र को समाप्त करने की भी है

क्योंकि इससे जनता परेशान हो रही है। उन्होंने कहा कि राइट-टू रिकॉल का नियम पंचायत प्रतिनिधियों पर तो लागू कर दिया लेकिन यह सबसे पहले सांसदों और विधायकों पर लागू होना चाहिए। अध्यक्ष ने कहा कि सरकार को झुकना ही पड़ेगा। किसान आंदोलन में भी सरकार झुकेगी थी और अब भी झुका कर रहेंगे

एसोसिएशन ने बताया ई-टेंडर प्रक्रिया से नुकसान

सरकार की ई-टेंडर प्रणाली के विरोध की वजह पूछे जाने पर एसोसिएशन ने कहा कि जो एस्टीमेट बनेगा ई-टेंडर में सबसे कम बिड वाले को काम दिया जाएगा। यदि किसी ने 10 लाख के टेंडर में बिड 8 लाख दर्ज की है तो उसे काम मिल जाएगा। जिसमें वह अपनी कमाई भी करेगा। जीएसटी भी कटेगी

कमीशन भी जाता है। ऐसे में 5 लाख रुपए भी काम पर खर्च नहीं होंगे। ऐसे में गुणवत्ता कैसे बनी रहेगी। कहा कि पहले भी अधिकारी ही एस्टीमेट बनाते थे। अब भी वही बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरपंचों को चोर समझा जा रहा है। इसलिए सरकार यह जांच कराए कि दो वर्ष में जो काम हुए हैं, उनकी गुणवत्ता क्या है

सरकर की नजर पंचायत के बजट पर है

समैण ने पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सरकार की नजर गांवों के विकास की बजाए पंचायत के बजट पर है। आरोप लगाया कि मंत्री के रिश्तेदार अब ठेकेदार बन गए हैं। उन्होंने कहा कि मनरेगा में ऑनलाइन हाजिरी लगाने के नियम से भी लोग परेशान हैं। क्योंकि इंटरनेट नेटवर्क न होने से उनकी हाजिरी नहीं लग रही है

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